कविता – मेरे जीवन का उजाला है : अनिता राठौड़

मेरे जीवन का उजाला है तुझसे
धूप जैसी जिंदगी में छाया है माँ।

लड़ लेती हूँ हर मुश्किल से कि
हर पल तुझे संग पाया है माँ।

कठिन डगर पर भी सदा तूने
मुझमें आत्मविश्वास जगाया है माँ।

नहीं लगता डर किसी मुसीबत से
तूने हर जंग लड़ना सिखाया है माँ।

कमजोर पड़ जाती हूँ जो कभी
तुझको हमेशा पास पाया है माँ।

जीवन तो है धूप – छाँव बस पल का
यही सोच को मजबूत बनाया है मां।

अंधेरे से जब घबरा जाती हूं मैं
तेरे आँचल में खुद को पाया है मां।

मेरे जीवन का उजाला है तुझसे
धूप जैसी जिंदगी में छाया है माँ।


अनिता राठौड़ “अnu”
लेखिका – गांधीधाम, कच्छ, गुजरात

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