कविता – माँ ममता की मूरत : डॉ कीर्ति

प्यारी मां
दुलारी मां
जीवन की संगिनी है
मेरी प्यारी मां

दिन भर वह काम करती
दिन भर वह संघर्ष करती
थकान होने पर भी
कभी चेहरे पर थकान महसूस न होने देती

प्यारी मां
दुलारी मां
ममता की मूरत
दया और त्याग से
है वह जग में दुलारी मां

मां बनकर इस जहांन को
जन्नत बना देती
पिता का आसरा बनकर
ना उनकी शान को कभी कम होने देती
जब भी विपदा आई उनके बच्चों पर
मां दुर्गा का रूप धारण कर
सब विपदा को हर लेती

प्यारी मां
दुलारी मां
जग मैं सबसे न्यारी
सबसे प्यारी है मेरी मां प्यारी मां

कभी दोस्त बन जाती
कभी हमसफर बनकर
हमारा हाथ थाम लेती

जब जब हमें हारा हुआ देखा
जब जब हमें थका हुआ देखा

अपने आंचल का सहारा देकर
हमें अच्छाई का पाठ पढ़ा कर

हमारी थकान है दूर कर देती
हमे जीवन में आगे बढ़ने की
और अग्रसर कर देती

डॉ कीर्ति

लेखिका, नई दिल्ली

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