साक्षात्कार: भारतीय स्टेट बैंक की वरिष्ठ सहयोगी – कवयित्री रोमिल फ्लॉस

सचिन चतुर्वेदी: नमस्ते! सबसे पहले, आपका धन्यवाद कि आपने हमारे साथ बातचीत के लिए समय निकाला। क्या आप प्रारंभिक जीवन…

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साक्षात्कार : जीवन के सरल आयामों को अपनाने वाली कवयित्री – मीना सिंह

आज हम दिल्ली की एक उभरती हुई लेखिका के साथ विशेष बातचीत करने जा रहे हैं। दिल्ली के मध्यमवर्गीय परिवार…

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छत्तीसगढ़ की प्राचीन विरासत अदभुत वैभव को समेटे हुए सरगुजा – रविन्द्र गिन्नौरे

सरगुजा में एशिया की सबसे पहली रंगशाला है, सीता बेंगरा। सोलह सौ फीट ऊंचे पहाड़ की चट्टान को तराश कर बनी है यह रंगशाला। ऐसे मुक्ताकाशी रंगमंच (ओपन एयर थिएटर) की परंपरा वैदिक काल से शुरू हुई थी। त्रेतायुग में राम का वनवास काल और कालिदास की रामगिरी सहित ईसा पूर्व तीसरी सदी की समृद्ध सभ्यता, संस्कृति को समेटे हुए है रामगढ़ की पहाड़ियां। छत्तीसगढ़ का सरगुजा जो अपने आगोश में समेटे हुए है युगों की गाथा, ऐतिहासिकता और पूरी अवशेष संपदा। कहा गया है कि त्रेतायुग में राम ने वनवास काल में यहां विश्राम किया था। महाकवि कालिदास की रामगिरी भी यही है, यहां बैठकर कवि ने मेघदूत की रचना की थी। ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी की सभ्यता के पुष्ट प्रमाण रामगढ़ की पहाड़ियों में विद्यमान हैं। यही है सीता बेंगरा, जहां होते थे नाटक और गीत-संगीत के आयोजन।

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साक्षात्कार : सुश्री नगीन तनवीर, लोक गायिका

सुविख्यात लोक गायिका सुश्री नगीन तनवीर जी वर्तमान समयमें अंसल अपार्टमेंट भोपाल में निवासरत हैं। नगीन जी अपनी माता श्रीमती मोनिका मिश्रा और पिता श्री हबीब तनवीर की इकलौती वारिस हैं। जिनका लोक संगीत, शास्त्रीय संगीत और रंग मंच से गहरा बावस्ता है। किसी भी गुण को सीखने और जानने के लिए धैर्य की आवश्यकता होती है,खास कर शास्त्रीय संगीत में। गुरु शिष्य परंपरा के दौरान पूरे मनो योग सुर, लय, ताल की शिक्षा दी जाती है, नगीन जी कुछ इसी तरह की परंपरा से संबंध रखती हैं। नगीन जी स्कूल-कॉलेज की शिक्षा के साथ सुविख्यात रंग निर्देशक हबीब तनवीर की पारखी रचना शीलता की साक्षी बनीं। ऐसे ही कुछ अनुभवों को साझा किया है, सुविख्यात लोक गायिका सुश्री नगीन तनवीर जी ने शैलेंद्र कुशवाहा से बातचीत के दौरान:

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सूरजकुंड क्राफ्ट मेला : वसुधा गोयल

देश के कोने कोने से आएं हस्तशिल्पकार,  हर एक स्टेट का विशेष व्यंजन,  अपना घर,  चौपाल,  चारों तरफ हाथ से बनी वस्तुओं से सजावट,  रंगारंग कार्यक्रम,  लोक नृत्य,  रंगीन छटा मौज मस्ती। जी हाँ हम बात कर रहे हैं “अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड क्राफ्ट मेले” की। जिसका आयोजन हरियाणा के फरीदाबाद जिले में किया जाता है। इस मेले को सबसे बड़े “अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेले” का दर्जा भी प्राप्त है।इस मेले का आयोजन केंद्रीय पर्यटन,  कपड़ा,  संस्कृति,  विदेश मंत्रालयों और हरियाणा सरकार के सहयोग से ‘सूरजकुंड मेला प्राधिकरण’ में ‘हरियाणा पर्यटन’ संयुक्त रूप से करता है। 1 फरवरी से 15 फरवरी मेले के लिए निर्धारित तिथि है।

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कुरुक्षेत्र – धर्म का क्षेत्र : मणिमाला चटर्जी

हरियाणा राज्य का प्राचीन नाम था ब्रह्मेपदेश,  आर्यवर्त या ब्रह्मवर्त। भारत के उत्तर में स्थित इस राज्य के उत्तर सीमा में हिमाचल प्रदेश,  तथा दक्षिण- पश्चिम में है राजस्थान। हरियाणा राज्य के अन्तर्गत कुरुक्षेत्र एक प्राचीन और पवित्र क्षेत्र माना जाता है जहाँ ‘महाभारत’ का धर्मयुद्ध संघटित हुआ था तथा कृष्ण द्वारा अर्जुन को ‘भागवत् गीता’ की शिक्षा दी गई थी,  तथा मनु ऋषि द्वारा ‘मनुस्मृति’ की रचना की गई थी।

प्राचीन पुराण के अनुसार कौरव एवं पाण्डवों के पूर्वज राजा कुरु के नामानुसार इस क्षेत्र का नाम कुरुक्षेत्र हुआ। ‘तैत्तिरीय आरण्यक’ के अनुसार कुरुक्षेत्र की स्थिति तुर्घना (सिरहिंद,  पंजाब) के दक्षिण में,  खाण्डव क्षेत्र के उत्तर में,  मरुस्थल के पूर्व तथा पारित के पश्चिम में है। ‘वामन पुराण’ के अनुसार राजा कुरु ने सरस्वती नदी के किनारे एक क्षेत्र का चयन किया था,  आध्यात्मिकता के आठ गुण : तापस,  सत्य,  क्षमा,  दया,  शुद्धि,  दान,  यज्ञ तथा ब्रह्मचर्य की आधारशिला की स्थापना के लिए।

सरस्वती तथा दृषद्वती नदियों के बीच स्थित यह भूमि एक पवित्र तीर्थ है क्योंकि भगवान विष्णु ने राजा कुरु के आदर्श से प्रभावित होकर दो वरदान दिया था। पहले वरदान के अनुसार,  राजा के नामांकित यह क्षेत्र एक पवित्र क्षेत्र बना रहेगा तथा इस क्षेत्र में मृत्यु होने से स्वर्ग की प्राप्ति होगी।

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